हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
رَبَّنَا إِنَّكَ جَامِعُ النَّاسِ لِيَوْمٍ لَّا رَيْبَ فِيهِ ۚ إِنَّ اللَّـهَ لَا يُخْلِفُ الْمِيعَادَ रब्बना इन्नका जामेउन नासे लेयौमिल ला रैबा फ़ीहे इन्नल्लाहा ला युख़लेफ़ुल मीआद। (आले इमरान, 9)
अनुवाद: हे हमारे परमात्मा! वास्तव में, एक दिन है जो सभी लोगों को इकट्ठा करेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है। दरअसल, भगवान कभी कोई वादा नहीं तोड़ता।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ ईश्वर की दया और मार्गदर्शन से वंचित होने से परलोक की कठिनाइयों में फंसना पड़ता है।
2️⃣ पुनरुत्थान के दिन पर विश्वास मनुष्य में अल्लाह की दया और मार्गदर्शन की आवश्यकता की भावना पैदा करता है।
3️⃣ इस दुनिया में इंसानों को पैदा करने का मकसद उन्हें कयामत के दिन पेश करना और उनके कर्मों का इनाम देना है।
4️⃣ क़यामत वह दिन है जब हर कोई ईमान की मंजिल तक पहुंच जाता है और वह दिन जब संदेह बढ़ जाता है।
5️⃣ पुनरुत्थान एकत्रण दिवस है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूरह अल-इमरान